राम चरित मानस अयोध्याकांड दोहा संख्या ५:-
चौ॰-मुदित महिपति मंदिर आए, सेवक सचिव सुमंत्रु बोलाए ||
कहि जयजीव सीस तिन्ह नाए, भूप सुमंगल बचन सुनाए ||१||
जौं पाँचहि मत लागै नीका, करहु हरषि हियँ रामहि टीका ||
मंत्री मुदित सुनत प्रिय बानी, अभिमत बिरवँ परेउ जनु पानी ||२||
बिनती सचिव करहि कर जोरी, जिअहु जगतपति बरिस करोरी ||
जग मंगल भल काजु बिचारा, बेगिअ नाथ न लाइअ बारा ||३||
नृपहि मोदु सुनि सचिव सुभाषा, बढ़त बौंड़ जनु लही सुसाखा ||४||
दो -कहेउ भूप मुनिराज कर जोइ जोइ आयसु होइ,
राम राज अभिषेक हित बेगि करहु सोइ सोइ ||५ ||